Shayari ....... क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के ,, कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के .. Md

क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के ,, कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के ..Md

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