दिल से कितनी बातें कर जाती हैं तुम्हारी आँखे,,,,
यादों पर कोई पहरा लगा सकता है कैसे,,,
जब याद बनकर सताती है तुम्हारी आँखे,,,
खुद से बेपरवाह दिखाई देती हो हमेशा,,,
फिर भी ऐतबार करती है तुम्हारी आँखे,,,,
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