Shayari.....सुनो ना, काश सैलरी भी मेरी होती तेरी यादों जैसी... हर शाम को कल से ज्यादा मिलती

सुनो ना, काश सैलरी भी मेरी होती तेरी यादों जैसी... हर शाम को कल से ज्यादा मिलती

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