Shayari......मेरी अधूरी कहानी है.......

मैं ही थी बेवफा और मैंने ही वफ़ा निभानी है … मैं लौट आई हूँ मंज़िल को देख कर … यहाँ तो यादों की वीरानी ही वीरानी है … यह इंतज़ार खत्म क्यों नहीं होता किस से पूछूं , क्या कोई मंज़िल मेरा मुक़दर है , या यही मेरी अधूरी कहानी है …......

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