shayari.....फिर मुझे दीवार पर चढ़ती हुयी चीटी मिल गयी।.....

मुद्दतों पहले जो खोई थी, वो पूँजी मिल गयी। कभी जो दरिया में फेंकी थी.. वो नेकी मिल गयी। खुदखुशी करने पर आमादा थी नाकामी मेरी, फिर मुझे दीवार पर चढ़ती हुयी चीटी मिल गयी।....

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