Shayari ....आखिर क्यों रिश्तों की गलियाँ इतनी तंग हैं.......

आखिर क्यों रिश्तों की गलियाँ इतनी तंग हैं... शुरूआत कौन करे, यही सोच कर बात बंद है...

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