कुछ धूप रखी है
कुछ छांव रखी है
तेरे इंतज़ार में मैंने
दहलीज पे अपनी
आंखें रखी हैं।
कुछ बादल रखे हैं
कुछ बारिशे रखी हैं
तेरे साथ भीगने को
मैंने कुछ प्यासे रखी हैं।
कुछ अश्क रखे हैं
कुछ शिकायतें रखी हैं
तेरे सीने से लिपट कर
कहने को बहुत से
प्रीत के किस्से रखें हैं।
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