Shayari....पता नही ये बादल क्यूँ भटक रहे हैं .......

"पता नही ये बादल क्यूँ भटक रहे हैं फ़िज़ा में दर-बदर... शायद इनसे भी बात नहीं करता,इनका अपना कोई..!!"

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